अफवाहों और आलोचनाओं से बचाव
अफवाहों और आलोचनाओं से बचाव
हमारा सामाजिक जीवन आपसी मेल मिलाप और चर्चा परिचर्चा पर आधारित है । वार्तालाप के माध्यम से विचारों का आदान प्रदान सम्पूर्ण समाज की दिशा निर्धारित करता है । लेकिन हमें यह जानना आवश्यक है कि किस प्रकार के विचारों का आदान प्रदान समाज को उन्नत बनाता है ।
अक्सर हमारी बातचीत का दायरा दूसरे लोगों के जीवन चरित्र के नकारात्मक पहलुओं के आसपास ही रहता है । कई बार हम लोगों के बारे में काल्पनिक, मनगढ़ंत और अफवाह फैलाने वाली बातें भी कह देते हैं । हम यह भूल जाते हैं कि दूसरे लोगों की आदत, व्यवहार और व्यक्तित्व के नकारात्मक पक्ष के बारे में अपना वक्तव्य देने से उनकी नकारात्मकता को हम अपने आचरण में समा रहे हैं । अफवाहों के माध्यम से आसपास के लोगों में मानसिक प्रदूषण फैलाना एक प्रकार का दुष्कृत्य है जो हमारी बुद्धि और विवेक को अशुद्ध करता है ।
हमें स्वयं को टटोलना चाहिये कि क्या हम अपने मित्र सम्बन्धियों के साथ बातचीत के दौरान लोगों के बारे में कोई काल्पनिक, मनगढ़ंत और मसालेदार बात साझा करते हैं या उसे अपने परिवार या समाज में फैलने से रोकने का प्रयास करते हैं ? क्या कोई ऐसी बात सुनकर उसे मन में समाये रखने की हमारे अन्दर क्षमता है ? क्या हमें ऐसी वाहियात अफवाहें सुनने में रुचि है ?
चाहे कोई कितने ही आत्मविश्वास और कुशलता के साथ लोगों की छवि नकारात्मक रूप से बिगाड़ने का प्रयास करें, लेकिन वह कभी सत्य नहीं हो सकती । नकारात्मक टिप्पणियां न केवल दूसरे व्यक्ति की प्रतिष्ठा को धूमिल करती है, बल्कि हमारी नैतिक विश्वसनीयता को भी संदेहास्पद बनाती है ।
यदि किसी के बारे में चर्चा करनी ही है तो केवल उसकी सकारात्मक विशेषताओं को ही साझा करना चाहिये । लोगों के बारे में नकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए अपनी राय प्रकट करना नैतिकता की श्रेणी में नहीं आता और ना ही इससे हमारी सामाजिक जागरूकता सिद्ध होती है । लोगों की अच्छाइयों पर ध्यान केन्द्रित करने से हम औरों के साथ साथ अपनी नज़रों में भी अच्छे दिखते हैं ।
हमें लोगों की भावनाओं और गोपनीयता का उचित सम्मान करना चाहिये । अफवाह फैलाने वाली या किसी की छवि धूमिल करने वाली बातों से हमें पूर्णतः अरुचि होनी चाहिये । हमें शांति से बैठकर अपने आपको लोगों के बारे में अच्छा और सकारात्मक बोलने के लिये मानसिक रूप से तैयार करना चाहिये । हमें किसी के बारे में क्या, कैसा और कितना बोलना है, इस सम्बन्ध में स्वयं को आत्म संयमित रखने की आवश्यकता है ।
यह सत्य है कि हम उन लोगों से घिरे हुए हैं जो लोगों के बारे में अनर्गल और मिथ्या कथन करके आसपास का वातावरण दूषित करते हैं । ऐसे लोगों के व्यवहार से फैलने वाली नकारात्मक ऊर्जा से स्वयं को बचाकर रखना हमारी जिम्मेदारी है । ऐसे लोगों के बारे में हमें न ही कुछ सोचना चाहिये और न ही कुछ बोलना चाहिये ।
अफवाहों के कारण हमारे आसपास फैले मानसिक प्रदूषण मिटाने के लिये अपनी दिनचर्या में यह आदत पक्की कर लें कि मुझे अपने सम्पर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की अच्छाईयों पर ही ध्यान केन्द्रित करना है और यदि कुछ कहना ही पड़े तो केवल सकारात्मक ही कहना है । विचारों की शुद्धता और वाणी की स्वच्छता इसमें महत्वपूर्ण भुमिका निभा सकती है ।
दूसरों के बारे में हमारे सकारात्मक विचार और शब्द आसपास के सभी लोगों की आत्मिक ऊर्जा को सकारात्मक रूप से बढ़ाते हैं। हमारे विचार भावनात्मक रूप से इतने उच्च कोटि के होने चाहिये कि हमारी वाणी से निकला प्रत्येक शब्द दूसरों के लिये आर्शीवाद का स्वरूप नजर आये ।
ऊँ शान्ति
मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर, राजस्थान
मोबाइल नम्बर 9460641092
Gunjan Kamal
09-Apr-2024 10:53 PM
शानदार
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Mohammed urooj khan
01-Apr-2024 01:43 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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kashish
29-Mar-2024 12:22 PM
Amazing
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